राजस्थान के प्रमुख दुर्ग।
दुर्गो का वर्गीकरण।
- गिरी दुर्ग
- जल दुर्ग
- माहि दुर्ग या स्थल दुर्ग
- वन दुर्ग
- धान्वन दुर्ग
- पारीख दुर्ग
गिरी दुर्ग
1 चितोड़ का किला :
गम्भीरी और बेडच नदियों के संगम पर।
निर्माण मौर्य राजा चिंत्रांगद ने करवाया।
मुख्य निर्माण :
- विजय स्तम्भ
- कुम्भश्याम मंदिर
- मीरा बाई मंदिर
- जैन कीर्ति स्तम्भ
- गोरा बदल महल
- नवलखा बुर्ज
- श्रंगार चवरी
- भीमलत कुण्ड
- चित्रांग मोरी
इसी दुर्ग में इतिहास प्रसीद तीन साके हुए।
1 पहला साका :- 1303 अल्लाउदीन ख़िलजी और राजा रतन सिंह के बीच रानी पद्मिनी को लेकर। रानी पद्मिनी ने जोहर किया गोरा बादल वीरगति को प्राप्त हुए।
2 दूसरा साका :-1534 गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह और राजा विक्रमादित्य के बीच। हाड़ी रानी कर्मावती ने जोहर किया. हिमउ को राखी भेजी थी।
3 तीसरा सका :- 1567 अकबर और राणा उदयसिंघ के बीच। जयमल पत्ता और कल्ला राठोर शहीद हुए।
कुम्भलगढ़ दुर्ग
राजसमन्द जिले में सादड़ी गांव।
निर्माण 1498 में महाराणा कुम्भा ने करवाया। शिल्पी मण्डन के देखरेख में।
मुख्या निर्माण
1 कटारगढ़
2 झाली रानी का महल
3 कुम्भास्वामी विष्णु का मंदिर ( महाराणा कुम्भ द्वारा बनवाया गया )
4 मामदेव का कुण्ड ( यंहा कुम्भा की उनके पुत्र ऊदा ने हत्या की थी )
प्रमुख तथ्य :
1 उदयसिंघ का लालन पालन यही हुआ था
2 इसी दुर्ग में उदयसिंघ का राज्याभिषेक हुआ था
3 महाराणा प्रताप का जनम भी यही हुआ था
4 यही से महाराणा प्रताप ने मेवाड़ पर शासन की शुरुआत की थी
इसी दुर्ग के बारे में अबुल फज़ल ने कहा था की यह दुर्ग इतनी उचाई पर बना है की निचे से ऊपर की तरफ देखने पर सर की पगड़ी गिर जाती है
रणथम्भोर दुर्ग :
यह गिरी दुर्ग और वन दुर्ग दोनों श्रेणियों में आता है
सवाईमाधोपुर जिले में थम्भोर पहाड़ियों पर।
निर्माण 944 में नागिल जाट द्वारा करवाया गया।
पृथ्वीराज के पुत्र शासन किया। उसके बाद मेवाड़ के हम्मीरदेव चौहान का शासन रहा जिसने अलाउदीन ख़िलजी से यध किया और हार गए। उसके बाद अल्लाउदीन ख़िलजी का शासन रहा।
मुख्या निर्माण
गणेश जी का मंदिर
हम्मीर महल
जोहर महल
रनिहाड तालाब
इस दुर्ग अबुल फज़ल ने कहा था की '' अन्य सभी दुर्ग नंगे है जबकि दुर्ग बख्तरबंद है ''
सुवर्ण गिरी दुर्ग ( जालोर का दुर्ग ) :
मारवाड़ में सुकड़ी नदी के किनारे सुवर्णगिरि पहाड़ी पर स्थित है।
निर्माण प्रतिहार नरेश नागभट्ट प्रथम द्वारा करवाया गया।
कान्हड़ देव सोनगरा और उसके पुत्र विरमदेव सोनगरा इसी दुर्ग में अल्हाउदीन ख़िलजी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
यह दुर्ग संकटकाल में मारवाड़ के राजाओ का आश्रय स्थल रहा है
मुख्या निर्माण :
संत मल्लिक शाह की दरगाह
परमार कालीन कीर्ति स्तम्भ
जैन स्वर्णगिरि मंदिर
तोपखाना
मेहरानगढ़ दुर्ग :
जोधपुर में चिड़ियाटूक पहाड़ी पर स्थित।
निर्माण 1459 में राव जोधा द्वारा करवाया गया।
मुख्य निर्माण :
शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित मस्जिद
मोतीमहल
फूलमहल
चौमुंडा माता जी का मंदिर
लार्ड किपलिंग ने इस दुर्ग के निर्माण की परियो और देवताओ द्वारा निर्माण की संज्ञा दी थी
सिवाना का किला :
बाड़मेर में हल्देश्वर पहाड़ी पर स्थित।
निर्माण वीर नारायण पवार द्वारा करवाया गया।
यह संकटकाल में मारवाड़ के राजाओ की शरणस्थली रहा है।
किलोनगढ़ दुर्ग :
बाड़मेर दुर्ग राव भीमा द्वारा 1552 में निर्मित किया गया
अचलगढ़ दुर्ग आबू (सिरोही ) :
1452 में महाराणा कुम्भा ने आबू के पुराने किले पर नया अचलगढ़ दुर्ग बनवाया।

तारागढ़ दुर्ग बूंदी :
राव बरसिंघ ने 1354 में इस दुर्ग का निर्माण करवाया
अजयमेरु दुर्ग या गढ़बीठली या तारागढ़ :
7 वी शताब्दी में राजा अजयपाल ने बिठली पहाड़ी पर करवाया था
यही पैर शहजादे दाराशिकोह ने धौलपुर युद्ध में हर के बाद शरण ली थी।
इसे राजस्थान का जिब्राल्टर भीकहा जाता है
टॉडगढ़ दुर्ग :
इसका निर्माण कर्नल तोड़ ने करवाया था अजमेर जिले में स्तिथ है
आमेर दुर्ग :
1592 में राजा मनसिंघ द्वारा निर्मित
हिन्दू मुस्लिम शैली का समन्वित रूप है
मुख्य निर्माण :
जगत शिरोमणि मंदिर
मावठा जलाशय
शीशमहल
शिलामता का मंदिर
मुग़ल बादशाह मुज्जम ने इस किले का नाम मोमिनबद रखा था
जयगढ़ दुर्ग :
1600 में राजा मनसिंघ प्रथम ने करवाया था
एक लघुदुर्ग विजयगढ़ी भी यंहा है
तोप बनाने का कारखाना भी यंहा है अतिविशाल तोप जयबाण भी यंहा है'
नाहरगढ़ दुर्ग :
1734 में राजा जयसिंघ द्वारा करवाया गया।
मराठो से सुरक्षा के लिए बनवाया गया था
इसमें एक जैसे 9 महल है।
मांडलगढ़ :
भीलवाड़ा में बनास, बेडच और मेनाल नदियों के संगम पर बना है
इस दुर्ग का निर्माण मंडिया भील के नाम पर चांनणा गुर्जर ने करवाया था.
कुम्भलगढ़ दुर्ग
राजसमन्द जिले में सादड़ी गांव।
निर्माण 1498 में महाराणा कुम्भा ने करवाया। शिल्पी मण्डन के देखरेख में।
मुख्या निर्माण
1 कटारगढ़
2 झाली रानी का महल
3 कुम्भास्वामी विष्णु का मंदिर ( महाराणा कुम्भ द्वारा बनवाया गया )
4 मामदेव का कुण्ड ( यंहा कुम्भा की उनके पुत्र ऊदा ने हत्या की थी )
प्रमुख तथ्य :
1 उदयसिंघ का लालन पालन यही हुआ था
2 इसी दुर्ग में उदयसिंघ का राज्याभिषेक हुआ था
3 महाराणा प्रताप का जनम भी यही हुआ था
4 यही से महाराणा प्रताप ने मेवाड़ पर शासन की शुरुआत की थी
इसी दुर्ग के बारे में अबुल फज़ल ने कहा था की यह दुर्ग इतनी उचाई पर बना है की निचे से ऊपर की तरफ देखने पर सर की पगड़ी गिर जाती है
रणथम्भोर दुर्ग :
यह गिरी दुर्ग और वन दुर्ग दोनों श्रेणियों में आता है
सवाईमाधोपुर जिले में थम्भोर पहाड़ियों पर।
निर्माण 944 में नागिल जाट द्वारा करवाया गया।
पृथ्वीराज के पुत्र शासन किया। उसके बाद मेवाड़ के हम्मीरदेव चौहान का शासन रहा जिसने अलाउदीन ख़िलजी से यध किया और हार गए। उसके बाद अल्लाउदीन ख़िलजी का शासन रहा।
मुख्या निर्माण
गणेश जी का मंदिर
हम्मीर महल
जोहर महल
रनिहाड तालाब
इस दुर्ग अबुल फज़ल ने कहा था की '' अन्य सभी दुर्ग नंगे है जबकि दुर्ग बख्तरबंद है ''
सुवर्ण गिरी दुर्ग ( जालोर का दुर्ग ) :
मारवाड़ में सुकड़ी नदी के किनारे सुवर्णगिरि पहाड़ी पर स्थित है।
निर्माण प्रतिहार नरेश नागभट्ट प्रथम द्वारा करवाया गया।
कान्हड़ देव सोनगरा और उसके पुत्र विरमदेव सोनगरा इसी दुर्ग में अल्हाउदीन ख़िलजी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
यह दुर्ग संकटकाल में मारवाड़ के राजाओ का आश्रय स्थल रहा है
मुख्या निर्माण :
संत मल्लिक शाह की दरगाह
परमार कालीन कीर्ति स्तम्भ
जैन स्वर्णगिरि मंदिर
तोपखाना
मेहरानगढ़ दुर्ग :
जोधपुर में चिड़ियाटूक पहाड़ी पर स्थित।
निर्माण 1459 में राव जोधा द्वारा करवाया गया।
मुख्य निर्माण :
शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित मस्जिद
मोतीमहल
फूलमहल
चौमुंडा माता जी का मंदिर
लार्ड किपलिंग ने इस दुर्ग के निर्माण की परियो और देवताओ द्वारा निर्माण की संज्ञा दी थी
सिवाना का किला :
बाड़मेर में हल्देश्वर पहाड़ी पर स्थित।
निर्माण वीर नारायण पवार द्वारा करवाया गया।
यह संकटकाल में मारवाड़ के राजाओ की शरणस्थली रहा है।
किलोनगढ़ दुर्ग :
बाड़मेर दुर्ग राव भीमा द्वारा 1552 में निर्मित किया गया
अचलगढ़ दुर्ग आबू (सिरोही ) :
1452 में महाराणा कुम्भा ने आबू के पुराने किले पर नया अचलगढ़ दुर्ग बनवाया।

तारागढ़ दुर्ग बूंदी :
राव बरसिंघ ने 1354 में इस दुर्ग का निर्माण करवाया
अजयमेरु दुर्ग या गढ़बीठली या तारागढ़ :
7 वी शताब्दी में राजा अजयपाल ने बिठली पहाड़ी पर करवाया था
यही पैर शहजादे दाराशिकोह ने धौलपुर युद्ध में हर के बाद शरण ली थी।
इसे राजस्थान का जिब्राल्टर भीकहा जाता है
टॉडगढ़ दुर्ग :
इसका निर्माण कर्नल तोड़ ने करवाया था अजमेर जिले में स्तिथ है
आमेर दुर्ग :
1592 में राजा मनसिंघ द्वारा निर्मित
हिन्दू मुस्लिम शैली का समन्वित रूप है
मुख्य निर्माण :
जगत शिरोमणि मंदिर
मावठा जलाशय
शीशमहल
शिलामता का मंदिर
मुग़ल बादशाह मुज्जम ने इस किले का नाम मोमिनबद रखा था
जयगढ़ दुर्ग :
1600 में राजा मनसिंघ प्रथम ने करवाया था
एक लघुदुर्ग विजयगढ़ी भी यंहा है
तोप बनाने का कारखाना भी यंहा है अतिविशाल तोप जयबाण भी यंहा है'
नाहरगढ़ दुर्ग :
1734 में राजा जयसिंघ द्वारा करवाया गया।
मराठो से सुरक्षा के लिए बनवाया गया था
इसमें एक जैसे 9 महल है।
मांडलगढ़ :
भीलवाड़ा में बनास, बेडच और मेनाल नदियों के संगम पर बना है
इस दुर्ग का निर्माण मंडिया भील के नाम पर चांनणा गुर्जर ने करवाया था.
मांडलगड़ दुर्ग
|
|||
कहां
|
:
|
भीलवाड़ा
जिले मे बनास, बेड़च और मेनाल नदियों के त्रिवेणी
संगम पर
|
|
कब
|
:
|
||
किसने
|
:
|
इसका
निर्माण मांडिया भील के नाम पैर चाणना नामक गुर्जर ने करवाया था।
|
|
मुख्य
निर्माण
|
:
|
जलेश्वर
महादेव मंदिर
|
|
मुख्य
तथ्य
|
:
|
अकबर ने मांडलगड़ दुर्ग को केंद्र बना कर महाराणा प्रताप
के खिलाफ सैनिक अभियान किये थे .
|
|
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राजस्थान के प्रमुख दुर्ग।
Reviewed by netfandu
on
9:15 PM
Rating:
