चित्तोड़गढ़ दुर्ग

चित्तोड़गढ़ दुर्ग



गम्भीरी और बेडच नदियों के संगम पर। 
निर्माण मौर्य राजा चिंत्रांगद ने करवाया। 

मुख्य  निर्माण :  

  1. विजय स्तम्भ   : राणा  कुम्भा दवारा १४४८ में महमूद ख़िलजी के नेतृत्व में मालवा और गुजरात की सेना पर  विजय की याद में बनवाया गया।  यह स्तम्भ भगवान विष्णु को समर्पित है   
 उचाई : 37 . 19  मीटर
मंजिल : 9 
निर्माण : लाल बलुया पत्थर और संगमरमर से 
शिल्पी : सूत्रधार जैता 
सबसे पहली मंजिल पर चित्तोर के राजाओ की वंशावली खुदी है. यह स्तम्भ सर्वधर्म संभव का अनुकरणीय उदारहण है सबसे पहली मंजिल पर जैन भगवानो की मुर्तिया है तथा रना कुम्भा द्वारा अल्ल्ला का उल्लेख भी किया गया है  




  1.  कुम्भश्याम मंदिर 

  1. मीरा बाई मंदिर 

  1. जैन कीर्ति स्तम्भ  :- यह विजय स्तम्भ से भी पुराना  है. 22  मीटर उचे इस स्तम्भ का निर्माण जीजा भगरवाल नाम के जैन ने जैन धरम की कीर्ति का गुणगान करवाने के लिए करवाया था। 

  1. गोरा बदल महल

  1.  नवलखा बुर्ज :- इस महल का निर्माण चित्तोर दुर्ग के अंदर ही बलबीर ने करवाया था। 

  1. श्रंगार चवरी 

  1. भीमलत कुण्ड 

  1. चित्रांग मोरी  

इसी दुर्ग में इतिहास प्रसीद तीन साके हुए। 
1  पहला साका  :- 1303  अल्लाउदीन ख़िलजी और राजा रतन सिंह के बीच रानी पद्मिनी को लेकर।  रानी पद्मिनी ने जोहर किया गोरा बादल  वीरगति  को प्राप्त हुए। 
2  दूसरा साका :-1534 गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह और राजा विक्रमादित्य के बीच।  हाड़ी रानी कर्मावती ने जोहर किया. हिमउ को राखी भेजी थी। 
3 तीसरा सका :-  1567 अकबर और राणा  उदयसिंघ के बीच।  जयमल पत्ता और कल्ला राठोर शहीद हुए। 
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