हर्षत माता मंदिर

आभानेरी गाँव, रोमांचक बावड़ियों और हर्षत माता के मन्दिर के लिये प्रसिद्ध है  ऐसी मान्यता है कि आभानेरी को राजा चाँद ने बसाया था, हालांकि इस शहर ने प्राचीन काल में कई विभीषिकाएं झेलीं, लेकिन "चाँद बावड़ी" और माता के मन्दिर की वजह से अब यह राजस्थान आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है।
मन्दिर में दर्शन को जाने से पहले हाथ-मुँह धोना एक पवित्र परम्परा मानी जाती है, श्रद्धालु इस बावड़ी से यह करके माता के दर्शन करते हैं। दसवीं शताब्दी में निर्मित इस सुन्दर मन्दिर में आज भी उस प्राचीन काल की वास्तुकला और मूर्तिकला के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि "हर्षत" माता खुशी और आनन्द की देवी हैं जो भक्त को हमेशा खुश रखती हैं और समूचे गाँव को आनन्दमय बनाये रखती हैं। 
हर्षत माता का मंदिर पत्थरों पर नक्काशी का एक बेजोड़ नमूना भी है।
जयपुर आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित दौसा जिला मुख्यालय से करीब 33 कि.मी. दूर आभानेरी गांव स्थित हर्षत माता मंदिर का निर्माण चौहान वंशीय राजा चांद ने करीब 8 तथा 9वीं शताब्दी में कराया था। इस मंदिर के पत्थरों पर आकर्षक नक्काशी में लगभग 33 करोड़ देवी देवताओं के चित्र बनाए गए थे।

विदेशी आक्रमण के हमले में खंडित इस मंदिर के भग्नावशेष यत्र-तत्र बिखरे पडे़ है। चांद बावड़ी और हर्षत माता मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण है। चांद बावड़ी के अंदर बनी आकर्षक सीढि़यां कलात्मक और पुरातत्व कला का शानदार उदाहरण है। गुप्त युग के पश्चात तथा आरंभिक मध्यकालीन स्मारकों के लिए प्रसिद्ध आभानेरी पुरातात्विक महत्व का प्राचीन गांव है।

मंदिर के पुजारी रामजीलाल ने बताया कि मंदिर में छह फुट की नीलम के पत्थर की हर्षत माता की मूर्ति 1968 में चोरी हो गई। किंवदंती है कि हर्षत माता गांव में आने वाले संकट के बारे में पहले ही चेतावनी दे देती थी जिससे गांव वाले सतर्क हो जाते और माता उनकी हमेशा रक्षा करती थी। इसे समृद्धि की देवी भी कहा जाता है। बताया जाता है कि 1021-26 के काल में मोहम्मद गजनवी ने इस मंदिर को तोड़ दिया तथा सभी मूर्तियों को खंडित कर दिया था। खंडित मूर्तियां आज भी मंदिर परिसर तथा चांद बावड़ी में सुरक्षित रखी हुई है। जयपुर के राजा ने 18 वीं शताब्दी में इसका जीर्णाेद्धार करवाया था।
हर्षत माता मंदिर हर्षत माता मंदिर Reviewed by netfandu on 8:02 AM Rating: 5