राजस्थान के सिक्के और मोहरे

सिक्के और मोहरे : सिक्के तिथियों को मापने में सहायता करते है . इन पर शासक का नाम और उनके युग की महत्वपूर्ण घटना अंकित होती है .जो उस समय के एतिहासिक सत्यो का प्रमाण बन जाति है . प्राचीन राजस्थान में सोना, चांदी और ताम्बे के सिक्के बनते थे . यह सिक्के मूल रूप से निमं स्थानों पर पाए गये है 1. बांसवाडा के सरवानिया गाँव से : क्षत्रियो के सिक्के मिले है . इनसे मेवाड़ और वांगड के इतहास का पता चलता है .
2. बयाना के सिक्के : 500 सोने के मोहरे मिली है जो की गुप्त काल की है इससे मालूम चलता है की गुप्त काल में भी राजस्थान समर्ध था . भरतपुर के नोह गाव से सिक्के और मोहरे मिले है जिससे राजस्थान का सिन्धु घटी सभ्यता से जुडाव का पता चलता है.
3. कालीबंगा के सिक्के : यंहा भी सिन्धु घटी सभ्यता की मोहरे मिली हिया . यह मोहरे मिटटी की हिया जिनकी एक तरफ कुछ मिला है और दूसरी तरफ जानवरों के चित्र है . कुछ जानवर पालतू है कुछ जंगली है . इन मोहरों से उस समय के पालतू जानवर , सामाजिक हालत और शिकार का पता चलता है .

                 उदयपुर से भी खुदाई में सिक्के और मोहरे मिली है इससे पता चलता है की आहड सभ्यता तक सिन्धु घटी सभ्यता थी 
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